-दो रोजा उर्स शुरु, बंदगी के जज्बे से लबरेज रही शायरी
उरई(जालौन)। सैयद पदमशाह बाबा के 45 वें उर्स समारोह में मंगलवार की रात हिंदुस्तान के जाने माने शायरों ने बंदगी के जज्बे से लवरेज कलाम सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को इबादत के रंग से सराबोर कर दिया। भोर होने -तक शायरी का सिलसिला चलता रहा और भीड़ है कि आखिरी तक मौके से नहीं टली।
बता दे कि अंबेडकर चौराहा पर स्थित सैयद पदम शाह बाबा दरगाह में दो रोजा उर्स की शुरूआत कल से हुयी।
पहले दिन बाहर से आये नामीगिरामी शायरों ने खुदा और रसूल को नजर अपने कलाम से श्रोताओं को रूहानियत के पाक ख्यालों में खो जाने के जज्बे को उभारा। सदारत समाजसेवी असलम कादरी ने की जबकि पीर मुस्ताक अहमद मुशाहिदी मेहमाने खुसूसी रहे। निजामत की जिम्मेदारी सुब्हान उल्लाह कानपुर ने बखूबी निभाई। सबसे पहले बहराइच से आए शायर जिया यजदानी ने इन पंक्तियों में ऊपर वाले के लिये अपने समर्पण का इजहार करते हुये पढ़ा, गौस पिया जिलानी, गौस पिया जिलानी, आपके नाना जान के सदके, पाया दाना पानी।अकील सिद्दीकी मुरादाबादी ने पढ़ा, हर एक दिल का ये नारा है, मदीना कितना प्यारा है। मुस्तफा मुर्तजा अजहरी बरेली ने पढ़ा, नजर को बक्श दो ऐसा असर गरीब नवाज, नजर उठाऊ तो आओ नजर गरीब नवाज। इसके बाद नूर अली नूर कानपुरी ने पढ़ा, मेरा दिल जिगर जिस पर कुर्बान है, मेरी मां मेरी जान है। इसके पहले अमन रजा उरई ने पढ़ा, चाहने वालों का ईमान बने बैठे हैं, यानि इंसान की पहचान बने बैठे हैं, हिन्द वालों मेरे ख्वाजा की करामत देखो, आठ सौ साल से सुल्तान बने बैठे हैं। अरशद रजा वारसी एरच, हाफिज नवाजिस सिकंदरा, वसीम उन्नाव, शबीउद्दीन व दिलशाद रजा उरई ने नात पाक पढ़कर वाहवाही लूटी। संचालन कर रहे कारी सुब्हान उल्लाह कानपुर ने अपने इल्मों हुनर से सारी रात मजमे को नबी की हदीसों के हवाले से बांधे रखा। इस मौके पर अध्यक्ष आरिफ कादरी, मुमताज रहमानी, जमाल छोटे, कृपाशंकर द्विवेदी बच्चू महाराज, इबादत अली, संजू दुबे, रिजवान मास्टर, जुबैर आलम, भूरे शाह, चुन्नू इंडिका, मुन्ना अंसारी, मुन्ना कैसेट, शहादत अली, अरशद कादरी आदि मौजूद रहे।
फोटो परिचय- उर्स की शुरूआत में कलाम पेश करते शायर
Post a Comment