-जालौन के शादाब खान ने पेश की सादगी की मिसाल
जालौन। आज के दौर में जहाँ शादियाँ दिखावे, फिजूलखर्ची और रस्मों-रिवाजों के बोझ तले दबी हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन के हाजी शादाब खान (नानू) ने एक ऐसी मिसाल कायम की है जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। उन्होंने दुनिया के सबसे मुकद्दस (पवित्र) मुकामों में से एक, मदीना मुनव्वरा की सरज़मीं पर बेहद सादगी के साथ निकाह कर अपनी नई जिंदगी का आगाज़ किया।
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सुन्नत-ए-नबवी पर अमल
हाजी शादाब खान ने आधुनिक दौर की तड़क-भड़क और बैंड-बाजे की फिजूलखर्ची को त्याग कर हज़रत मुहम्मद की सुन्नत को जिंदा किया। निकाह का यह रूहानी मंज़र मस्जिद की पाकीज़गी के बीच मुकम्मल हुआ। पूरी सादगी और इस्लामी शरीयत के दायरे में रहकर अदा की गई इस रस्म ने यह संदेश दिया कि निकाह को जितना आसान बनाया जाएगा, समाज में उतनी ही बरकत होगी।
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रूहानी अनुभव और दुआओं का साया
इस पाक मौके पर किसी भी तरह का आडंबर नहीं दिखा। केवल परिवार के करीबी सदस्य और अज़ीज़ों की मौजूदगी रही, जिन्होंने मस्जिद के रूहानी माहौल में नवविवाहित जोड़े के हक में दुआएं मांगीं।
हाजी शादाब खान ने इस मौके पर कहाकि दीना शरीफ जैसी पाक जगह पर निकाह करना मेरे लिए अल्लाह का खास करम और एक रूहानी सुकून का जरिया है। मेरा मकसद सिर्फ सुन्नत पर अमल करना था ताकि समाज के युवाओं को यह पैगाम मिल सके कि सादगी में ही असल कामयाबी और बरकत है।
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समाज के लिए एक रोशन पैगाम
यह निकाह उन लोगों के लिए एक आईना है जो शादियों में कर्ज लेकर या दिखावे के लिए लाखों रुपये खर्च करते हैं। हाजी शादाब खान की इस पहल ने न सिर्फ जालौन का नाम रोशन किया है, बल्कि मुस्लिम समाज के नौजवानों को यह सीख दी है कि दीन और दुनिया में संतुलन कैसे बनाया जाता है।
फोटो परिचय- मदीना में निकाह के बेगम के साथ शादाब
रूहानी अनुभव और दुआओं का साया
इस पाक मौके पर किसी भी तरह का आडंबर नहीं दिखा। केवल परिवार के करीबी सदस्य और अज़ीज़ों की मौजूदगी रही, जिन्होंने मस्जिद के रूहानी माहौल में नवविवाहित जोड़े के हक में दुआएं मांगीं।
हाजी शादाब खान ने इस मौके पर कहाकि दीना शरीफ जैसी पाक जगह पर निकाह करना मेरे लिए अल्लाह का खास करम और एक रूहानी सुकून का जरिया है। मेरा मकसद सिर्फ सुन्नत पर अमल करना था ताकि समाज के युवाओं को यह पैगाम मिल सके कि सादगी में ही असल कामयाबी और बरकत है।
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समाज के लिए एक रोशन पैगाम
यह निकाह उन लोगों के लिए एक आईना है जो शादियों में कर्ज लेकर या दिखावे के लिए लाखों रुपये खर्च करते हैं। हाजी शादाब खान की इस पहल ने न सिर्फ जालौन का नाम रोशन किया है, बल्कि मुस्लिम समाज के नौजवानों को यह सीख दी है कि दीन और दुनिया में संतुलन कैसे बनाया जाता है।
फोटो परिचय- मदीना में निकाह के बेगम के साथ शादाब
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