जनपद में ठण्ड से बचाव, तैयारी एवं सतर्कता बरतने की अन्यन्त आवश्यकता- संजय कुमार


 --ठंड से बचाव के लिए एडीएम ने जारी की एडवाइजरी
उरई (जालौन)। अपर जिलाधिकारी(वि०/रा०) संजय कुमार ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में शीतलहर का प्रभाव जारी है, जिसके दृष्टिगत जनपद में ठण्ड से बचाव, तैयारी एवं सतर्कता बरतने की अन्यन्त आवश्यकता है। ठण्ड से बचाव हेतु आमजनमानस को जागरूक करने हेतु शीतलहर से पहले व उसके दौरान क्या करें व क्या न करें से सम्बन्धित एडवाइजरीं / दिशानिर्देश जारी किये जा रहे हैं।
 अपर जिलाधिकारी संजय कुमार ने  शीतलहर से बचाव हेतु एडवाइजरी में बताया कि *शीतलहर से पहले*- रेडियो सुने, टीवी देखें, स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए समाचार पत्र पढ़ें ताकि यह पता चल सके कि क्या शीत लहर होने वाली है। पर्याप्त सर्दियों के कपड़े पहनें। कपड़ों की कई परतें शरीर को गर्म रखने में अधिक सहायक होती है। आपातकालीन आपूर्ति आवश्यकतानुसार आवश्यक आपूर्ति स्टोर करें एवं तैयार रखें।शीतलहर के दौरान फ्लू, बहती/भरी हुई नाक या नाक से खून जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड के लंबे समय तक सम्पर्क में रहने के कारण हो जाती है या बढ़ जाती है। इस तरह के लक्षणों के लिए डॉक्टर से सम्पर्क करें।
*शीतलहर के दौरान*- मौसम की जानकारी और आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करें और सलाह के अनुसार कार्य करें। जितना हो सके घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें। भारी कपड़ों की एक परत के बजाय ढीले फिटिंग, हल्के, विंडप्रूफ गर्म ऊनी कपड़ों की कई परतें पहनें। टाइट कपड़े ब्लड सर्कुलेशन को कम करते हैं। अपने आप को सूखा रखें। अपने सिर, गर्दन, हाथों और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से कवर करें क्योंकि शरीर के इन अंगों के माध्यम से शरीर को ठंडक लगने का खतरा अधिक रहता है। दस्तानें पहने क्योंकि दस्ताने ठंडक से गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं क्योंकि उंगलियां अपनी गर्मी साझा करती हैं। और ठंड के लिए कम सतह क्षेत्र को उजागर करती हैं। ठंडक से बचने के लिए टोपी और मफलर का प्रयोग करें। शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं।नियमित रूप से गर्म तरल पेय पदार्थ पिएं, क्योंकि गर्म पेय पदार्थ ठंडक से लड़ने के लिए शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं।तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम से नियमित रूप से शरीर की मालिश करें क्योंकि यह त्वचा को नमी प्रदान करते हैं। बुजुर्ग लोगों और बच्चों की देखभाल करें और अकेले रहने वाले पड़ोसियों का ख्याल रखें।गैर-औद्योगिक इमारतों के लिए गर्मी इन्सुलेशन गाइडलाइन का पालन करें। शीतलहर के सम्पर्क में आने पर हाथ पैर की अंगलियों, कानों और नाक की नोक पर सुन्नता, सफेद या पीलापन दिखना, शीतलहर के लक्षण है जिसके प्रति सतर्क रहें। तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।कंपकपी को नजरअंदाज न करें। शीतलहर के प्रभाव का यह एक महत्वपूर्ण संकेत है शरीर गर्मी खो रहा हो तो जल्द से जल्द घर के अंदर गर्म स्थान रहने का प्रयत्न करें। फास्टबाइट/हाइपोथर्मिया से पीड़ित कोई व्यक्ति शरीर के तापमान में कमी के कारण कपकपी, बोलने में कठिनाई, नींद न आना, मांसपेशियों में अकड़न, भारी, श्वास, कमजोरी और चेतना का नुकसान हो सकता है। हाइपोथर्मिया एक आपातकालीन चिकित्सा है जिसके लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है। गर्मी उत्पन्न करने के लिये बंद कमरे के अन्दर कोयला /अंगीठी न जलायें क्योंकि इससे कार्बन मानोऑक्साइड गैस उत्पन्न हो सकती है जो बहुत जहरीली होती है और कमरे में मौजूद लोगों की जान जा सकती है।विभिन्न बीमारियों, बहती/भरी हुई नाक जैसे लक्षणों के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।पालतू जानवरों को शीतलहर से बचाने के लिए जानवरों को बाड़े के अंदर ले जाएं एवं ख्याल रखें।एन०डी०एम०ए० द्वारा जारी किया गया मोबाइल ऐप यथा (Firs Aid for Students and Teachers) FAST and SACHET मोबाइल ऐप डाउनलोड करें।
उन्होंने बताया कि *हाइपोथर्मियां के मामले में क्या करें*- व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और उसके गीले कपड़े बदलें। व्यक्ति के शरीर को त्वचा से त्वचा के संपर्क में लाकर गर्म रखें, कंबल, कपड़े, तौलिये या चादर की परतों से सुखायें।शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें। शराब न दें। स्थिति बिगडने पर चिकित्सीय सहायता लें।
*हाइपोथर्मियां के मामले में क्या न करे*- लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचें।शराब न पीए क्योंकि यह शरीर के तापमान को कम करती है, और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती है। ठंडे से प्रभावित अंग की मालिश न करें। इससे अधिक नुकसान हो सकता है। कंपकपी को नजरअंदाज न करें। यह पहला संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है-घर के अंदर शरण लें। प्रभावित व्यक्ति को तब तक कोई तरल पदार्थ न दें जब तक कि पूरी तरह से सचेत न हो जाए।
उन्होंने बताया कि *कृषि के मामले में क्या करें और क्या न करें*- शीत लहर और पाला फसलों को नुकासान पहुंचाते हैं, खरीफ की फसलों की वृद्धि कम हो जाती है, पत्तियां जल जाती है। (पत्तियों पर सफेद, भूरे धब्बे) बन जाते है और पत्तियां सूख कर झुलस जाती है। जिसमें उनमें काला रतुआ, सफेद रतुआ पछेती सुषार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। शील लहर के कारण अंकुरण, वृद्धि पुष्पन, उपज और भंडारण अवधि में विभिन्न प्रकार के शरीरिक व्यवधान का कारण बनती है।
*कृषि के मामले में क्या करें*- ठंड से होने वाली बीमारी के लिए उपचारात्मक उपाय अपनायें जैसे बेहतर जड़ विकास को सक्रिय करने के लिए बोडों मिश्रण या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड, फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K) का छिड़काव करें। शीतलहर के दौरान जहां भी संभव हो, हल्की और बार-बार सतही सिंचाई करें। यदि संभव हो तो स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करें। ठंड प्रतिरोधी पौधों / फसलों/ किस्मों की खेती करें। बागवानी और बगीचों में इंटरक्रॉपिंग (अन्तर फसल) खेती का उपयोग करें। टमाटर, बैंगन जैसी सब्जियों की मिश्रित फसल, के साथ सरसों/अरहर जैसी लंबी फसलें ठंडी हवाओं (ठंड के खिलाफ आश्रय) के खिलाफ आवश्यक आश्रय प्रदान करेगी। सर्दियों के दौरान युवा फलदार पौधे को प्लास्टिक द्वारा ढककर अथवा पुआल या सरकंडा घास आदि के छप्पर (झुग्गियों) बनाकर विकिरण अवशोषण (Absorption) को बढाया जा सकता है। गर्म तापीय व्यवस्था प्रदानप की जा सकती है। जैविक मल्चिंग (तापीय इन्सुलेशन के लिए)। विंड ब्रेक/शेल्टर बेल्ट लगाना (हवा की गति को कम करने के लिए)।
उन्होंने बताया कि *पशुपालन/पशुधन के मामले में क्या करें और क्या न करें*- शीतलहर के दौरान, जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। भैंसों / मवेशियों के लिए इस मौसम के दौरान जानवरों में तापमान में अत्यधिक भिन्नता पशुओं की प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है।
*पशुपालन/पशुधन के मामले में क्या करें*- ठंड हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी तरफ से जानवरों के आवास को ढक दें। पशुओं और मुर्गियों को ठंड से बचाने और गर्म कपड़े से ढकने की व्यवस्था करें। पशुधन आहार पद्धति और आहार पूरकों में सुधार करें। उच्च गुणवत्ता वाले चारे या चरागाहों का उपयोग।वसायुक्त खुराक प्रदान करें-आहार सेवन, खिलाने और चबाने के व्यवहार पर अनुपात केंद्रित करें। जलवायु अनुकूल शेड का निर्माण करें जो सर्दियों के दौरान अधिकतम सूर्य प्रकाश तथा गर्मियों के दौरान कम विकिरण की अनुमति देता है।सर्दियों के दौरान पशुओं के नीचे सूखा भूसा जैसी कुछ बिछावान सामग्री डालें। इन परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त नस्लों (फिट नस्लों) का चयन करें।
*पशुपालन/पशुधन के मामले में क्या न करें*- शीतलहर के दौरान पशुओं को खुले स्थानों में न बांधे घूमने न दें। शीतलहर के दौरान पशुमेले से बचें। जानवरों को ठंडा चारा और ठंडा पानी देने से बचें। पशु आश्रय में नमी और धुएं से बचें। मृत पशुओं के शवों को पशुओं के नियमित चरने वाले मार्गों पर नहीं फेंका जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि *यातायात / परिवहन विभाग के मामले में क्या करें*- दुर्घटनाओं से बचाव के लिए सतर्क रहें कोहरे और कम दृश्यता में सभी वाहनों को सावधानी से चलने के निर्देश दें।रिफ्लेक्टर/कैट्स आई लगवाएं सड़कों पर रिफ्लेक्टर पेंट और कैट्स-आई ठीक से लगवाएं ताकि रात दृश्यता बनी रहे।सड़कों की स्थिति की निगरानी करें फिसलन वाले इलाकों (ब्रिज, ओवरब्रिज, नमी वाले रास्ते) पर नमक या रेत का छिड़काव करें। कोहरे में धीरे चलने के लिए जागरूक करें- चालकों को Slow Speed और Keep Headlights ON के बोर्ड लगाकर सचेत करें।वैकल्पिक मार्गों की जानकारी दें अगर किसी क्षेत्र में दृश्यता बहुत कम है तो वहां से डायवर्जन की व्यवस्था करें। पुलिस कर्मियों के लिए ऊनी वस्त्र और गर्म पेय की व्यवस्था करें ताकि वे ठंड में ड्यूटी कर सकें। संचार बनाए रखें- वायरलेस / फोन पर निरंतर अपडेट लें कि कहां पर ट्रैफिक जाम या दुर्घटना की संभावना है।एम्बुलेंस और रिकवरी वैन तैयार रखें किसी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाने के लिए।
*यातायात/परिवहन विभाग के मामले में क्या न करें*- कोहरे में तेज गति से वाहन न चलने दें। सड़क पर अनावश्यक रूकावटें न लगाएं इससे दुर्घटना का खतरा बढ़ता है। बिना रिफ्लेक्टर या लाइट वाले वाहनों को सड़क पर चलने की अनुमति न दें। ड्यूटी पॉइंट छोड़कर न जाए ठंड के समय भी पोस्ट पर उपस्थिति बनाए रखें। ड्राइवरों को बिना चेतावनी न जाने दें सभी को सुरक्षा नियमों की जानकारी दें। फिसलन या अत्यधिक ओंस / बर्फ जमी सड़क पर भारी वाहनों को तेज गति से न जाने दें। आपात स्थिति में देरी न करें तुरंत उच्च अधिकारियों को सूचित करें।

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