त्यौहार की परंपराएं भी आधुनिकता के असर से अछूती नहीं


0 पुराने वस्त्रों की जगह अब होली के रंगों को खेलने के लिए बाजार में बिक रहे नए परिधान
0 पुरानी परंपराओं को नई विकसित होती संस्कृति कर रही प्रभावित
उरई (जालौन)। आधुनिकता के दौर में बदलती जीवन शैली ने त्यौहार की परंपराओं को भी प्रभावित किया हैबात हम दिवाली और होली जैसे पर्वों की करें तो यहां भी बहुत कुछ नए रंग ढंग में दिखाई देने लगा है इस बार होली के पर्व पर बाजार में नए परिधान लोगों का आकर्षक बने हुए हैं अब लोग पुराने वस्त्रों की जगह इन्हीं परिधानों को खरीद कर होली के रंग खेलेंगे फिलहाल जो भी हो लेकिन इतना साफ है कि सदियों पुरानी परंपराएं और रंग-ढंग भी आधुनिकता से प्रभावित हुए बिना अछूते नहीं रहे हैं।


तेजी के साथ बदल रही जीवन शैली में अब बहुत कुछ नया जुड़ता जा रहा है बात हम त्यौहार परंपराओं की करें तो जिस तरह से आधुनिकता इन पर भी अपना असर दिखला रही है वह भी कम चौंकाने वाली बात नहीं फिलहाल जो भी हो लेकिन जिस तरह से त्योहार में भी नए रंग ढंग शामिल हो रहे हैं उससे पुरानी परंपराए नए रूप लेती जा रही है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है भारतीय समाज में प्राचीन त्यौहार परंपराएं सामाजिक जीवन का हिस्सा रहे हैं यही वजह है कि पूरे देश में त्योहार मनाने की शैली एकरूपता में ही देखने को मिलती है लेकिन विगत कुछ दशकों के दौरान त्योहार परंपराओं पर भी आधुनिकता की मार स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है फिर चाहे वह दीपावली और होली जैसे बड़े पर्व भी क्यों ना हो यहां हम बात होली के त्यौहार की करें तो बताते चलें कि यह त्यौहार रंगों का त्यौहार है और रंग खेल कर लो यह त्यौहार मनाते हैं प्राय देखा जाता रहा है कि होली के करीब आते हैं रंग खेलने के इच्छुक लोग अपने पुराने वस्त्र निकालकर पहले से ही रंग खेलने की तैयारी कर लेते थे लेकिन विडंबना है कि अब रंग खेलने की इस परंपरा के निर्वहन में लोगों ने आधुनिकता को अपनाना शुरू कर दिया है और पुराने वस्त्रों की जगह पर होली के लिए विशेष तौर पर बनाए गए बाजारों में उपलब्ध रहने वाले वस्त्रों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बना लिया है यही वजह है कि इन दिनों होली के करीब आते ही बाजारों में होली के लिए बनाए जाने वाले विशेष प्रकार के वस्तुओं की दुकान सजने लगी हैं फिलहाल जो भी हो लेकिन इतना साफ है कि होली जैसे प्राचीन परंपरागत त्योहार पर भी आधुनिकता हावी है और लोग बदले हुए अंदाज में इस त्यौहार को मनाने के लिए प्रेरित और उत्साहित हैं। उल्लेखनीय है कि होली का पर्व शहरी और ग्रामीण अंचलों में जिस तरह से पुरानी परंपराओं के तहत मनाया जाता था वह भी अब धीरे-धीरे अपना स्वरूप बदलती जा रहे हैं कुल मिलाकर यह कहना बेमानी न होगा कि अब सामाजिक बदलाव में त्यौहार परंपराएं भी नए-नए रंग-ढंग अपनाती जा रही हैं। 
फोटो परिचय-दुकान पर बिक्री के लिये टगे होली के परिधान।

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