कुठौँद में नए थाना प्रभारी अजय पाठक की कार्य शैली से बढ़ा भरोसा,

   -- अपराधियों का स्थान होगा सलाखों के पीछे, अजय पाठक,
 कुठौंद(जालौन)। कुठौँद थाना प्रभारी निरीक्षक अरुण राय के असामयिक निधन के बाद क्षेत्र में शोक और असमंजस का माहौल था। ऐसे संवेदनशील समय में जब थाना संचालन की जिम्मेदारी अजय पाठक को सौंपी गई, तब लोगों में यह उत्सुकता थी कि नए प्रभारी किस तरह से व्यवस्था संभालेंगे। मगर आशा के विपरीत, उन्होंने बेहद कम समय में अपनी सक्रिय कार्यशैली और व्यवहारिक सोच से न सिर्फ स्थिति संभाली, बल्कि जनता के बीच भरोसा भी मजबूत कर दिया है।
समय से थाने में बैठना और हर फरियादी को सुनना—नई पहचान

नए प्रभारी के आते ही सबसे बड़ा बदलाव उनके समय पालन और जनसुनवाई में देखा गया। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि पहले अक्सर फरियादियों को थाने में अधिकारियों के इंतजार में समय बिताना पड़ता था, लेकिन अब थाना प्रभारी स्वयं समय से मौजूद रहते हैं।
फरियादियों की बात ध्यान से सुनना, हर मामले को प्राथमिकता पर लेना और जल्द निस्तारण करना उनकी पहचान बन चुकी है।
IGRS प्रकरण में तुरंत समाधान—लोग हुए प्रभावित

कस्बा निवासी अलाई यज्ञिक ने बताया कि उनकी एक IGRS शिकायत लंबे समय से लंबित पड़ी थी, लेकिन जैसे ही उन्होंने नए थाना प्रभारी से बात की, तुरंत कार्रवाई शुरू हो गई।
उन्होंने कहा—“थाना प्रभारी अजय पाठक बेहद सरल, सहज और समाधान केंद्रित अधिकारी हैं। उनके आने से ऐसा लगता है कि लोगों को उच्च अधिकारियों के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि थाने स्तर पर ही न्याय मिल रहा है।”
मानवता की मिसाल: महिला यात्री की मदद कर जीता दिल

गुरुवार शाम की घटना ने जनता के बीच पुलिस की सकारात्मक छवि को और मजबूत किया। रोडवेज़ स्टैंड पर एक महिला यात्री की बस छूट गई थी। रात का समय होने के कारण वह बेहद परेशान थी।
पुलिस कर्मियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ उससे बात की बल्कि उसे 5 किलोमीटर दूर उसकी संबंधित बस तक सुरक्षित पहुंचाया।महिला ने भावुक होकर पुलिस को धन्यवाद देते हुए कहा—“कुठौँद पुलिस ने मुझे मुश्किल समय में सहारा दिया। यह मेरे लिए बड़ी राहत का क्षण था।”
क्षेत्र में बढ़ रहा है पुलिस के प्रति विश्वास

स्थानीय व्यापारियों, आम नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि अजय पाठक की कार्यशैली ने थाने और जनता के बीच की दूरी कम कर दी है।
जहाँ पहले कई लोग पुलिस के पास जाने में हिचकिचाते थे, वहीं अब लोग खुलकर अपनी समस्या लेकर थाने पहुँच

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