(रामकुमार शर्मा)
गोवर्धन। गिरिराज नगरी में गोवर्धन पूजा को आस्था का सागर उमड़ पड़ा। लाखों श्रद्धालु भक्त गिरिराज पर्वत की परिक्रमा और पूजा-अर्चना को मंदिरों में आस्था के दीप जले और अन्नकूट भोग लगाकर मनोती मांगी। बुधवार को गोवर्धन पूजा पर भक्ति और श्रद्धा का ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने सभी को अभिभूत कर दिया।
सुबह से ही परिक्रमा मार्ग पर भक्तों की भारी भीड़ जुटने लगी। पूरे मार्ग में भजन-कीर्तन, ढोल-नगाड़ों की गूंज, हरे कृष्णा-हरे राम के मंत्रों की ध्वनि और फूलों से सजे झांकियों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में गिरिराज महाराज की जयकारों के साथ परिक्रमा करते नजर आए। इस अवसर पर इस्कॉन मंदिर के संतों ने विशेष रूप से गिरिराज महाराज को समर्पित छप्पन भोग की परंपरा निभाई।
संतों ने अपने सिर पर छप्पन प्रकार के व्यंजन उठाकर गिरिराज जी को अर्पित किए। यह दृश्य देखने लायक था, जिसमें भक्ति, समर्पण और भावनाओं का अद्वितीय संगम देखने को मिला। गोवर्धन पूजा का महत्व श्रीकृष्ण की उस लीला से जुड़ा है, जब उन्होंने इंद्र देव के घमंड का दमन करते हुए ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया था।
तब से लेकर आज तक यह पर्व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है और गिरिराज जी की पूजा कर परिक्रमा की जाती है। यहां स्थानीय प्रशासन द्वारा भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। पुलिस, होमगार्ड, स्वयंसेवकों और स्वास्थ्य सेवाओं की तैनाती से श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया। धार्मिक आयोजनों, भंडारों और कीर्तन मंडलियों ने इस पर्व को और भी भव्यता प्रदान की। भक्तों ने एक स्वर में कहा कि गिरिराज जी की कृपा से ही जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
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