0 दलित-मुस्लिम महिलाओं के हक़ की लड़ाई लड़ने वाली बनीं झांसी मंडल की पहली महिला समाजसेवी
उरई,(जालौन)। जनपद जालौन की सामाजिक कार्यकर्ता रिहाना मंसूरी को प्रतिष्ठित भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम अवॉर्ड के लिए चुना गया है। दलित-मुस्लिम महिलाओं और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्षरत रिहाना मंसूरी को यह सम्मान नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया द्वारा उनके सतत सामाजिक कार्यों के लिए दिया जा रहा है।
रिहाना मंसूरी झांसी मंडल की पहली महिला सामाजिक कार्यकर्ता बनी हैं, जिन्हें इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान के लिए चयनित किया गया है। उन्हें यह अवॉर्ड आगामी 22 मई को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानपत्र, पदक और एक लाख रुपये की सम्मान राशि के साथ प्रदान किया जाएगा।
रिहाना मंसूरी पिछले एक दशक से नेशनल कैंपेन ऑन दलित ह्यूमन राइट्स, हिलाल वेलफेयर सोसायटी और बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के साथ मिलकर छुआछूत, जातीय भेदभाव, लैंगिक असमानता, मैला ढोने जैसी कुप्रथाओं और दलित उत्पीड़न के विरुद्ध निरंतर सक्रिय हैं।
इस उपलब्धि पर जिले भर से बधाइयों का तांता लग गया। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मुहम्मद नईम, कृष्ण कुमार प्रजापति (सुलह समझौता केंद्र), अश्विनी मिश्रा (जिला न्यायालय) समेत कई लोगों ने बधाई दी है।
वर्तमान में रिहाना मंसूरी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप दीक्षित के संरक्षण में दलित-मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ़ होने वाली हिंसा के विरुद्ध कानूनी पैरवी का कार्य कर रही हैं। अवॉर्ड की सूचना पर एडवोकेट अनुपम श्रीवास्तव, नेहा निरंजन, अजीत दामरास, संतोष अहिरवार, रविकांत गौतम, राज वर्मा, रश्मि वर्मा, अनुराधा बौद्ध, नंदकुमार बौद्ध, अब्दुल आलम, शाह आलम समेत हिलाल संस्था की रुकसाना मंसूरी, अफसाना मंसूरी और अर्शना मंसूरी ने भी प्रसन्नता व्यक्त की।
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